Tuesday, July 28, 2009

रहनुमाई

आज चाँदनी मेरे दर पे आई है।
ख़ुद चाँद ने की रहनुमाई है।

दरवाज़े पे कोई दस्तक है दे रहा,
फ़िर वक्त मुझे आवाज़ लगाई है।

दिल मुद्दत से था बंद हो चुका,
आज सीने फ़िर धड़कन समायी है।

अर्श आज मुझे सजदा है कर रहा,
मेरी किस्मत ऐसे रौशनाई है।

हाथ थामे कोई है साथ ले चला,
जाने आँख फ़िर क्यूँ भर आई है।

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