न जाने दिल में डर सा क्यूँ रहता है
न जाने मन में शक क्यूँ पनपता है
न जाने क्यूँ यकीन हो नहीं पाता
न जाने क्यूँ हौंसला चटकता है
न जाने साये जिस्म से बड़े क्यूं है
न जाने सोच में अब जनून क्यूँ है
न जाने मैं अब मिसाल हूँ के नहीं
न जाने गर्दिश में अब जुम्बिश क्यूँ है
Sunday, May 22, 2011
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