Wednesday, July 22, 2009

काटा नाम मेरा

काटा नाम मेरे नाम से ये और बात है,
नही था वो मेरा नाम ये न झुठलाओ।

जो किया मेरे साथ इनायत है कम नही,
मोहाब्बत के मायने मुझे न समझाओ।

मेरे ख़त उनमे बंद तेरी यादों के फूल,
मुझे लौटादो मेरे ही साथ दफनाओ।

मुह फेर लिया मुझसे है यह गिला नही,
मुझपे धोखेबाज़ी का इलज़ाम लगाओ।

मर कर कोई वापिस नही आता,
मेरी कब्र पर न आब आँसू बहाओ।

काटा नाम मेरे नाम से ये और बात है,
नही था वो मेरा नाम ये झुठलाओ

2 comments:

  1. अर्शी भाई,(यदि यही आपका नाम है)
    आप ने जो लिखा उसका भाव मुझे बहुत अच्छा लगा

    मै आपसे कुछ बाते शेयर करना चाहता हूँ

    आपने लयबद्ध जो रचना पोस्ट की है वो गजल नहीं है
    दरअसल गजल लिखने का कुछ नियम है जिसमे हम बहर काफिया रदीफ़ आदि के निर्वहन को बाध्य होते है
    गजल व बहर के विषय में कोई भी जानकारी चाहिए हो तो सुबीर जी के ब्लॉग पर जाइये
    इसे पाने के लिए आप इस पते पर क्लिक कर सकते हैं।
    यदि आप गजल के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं कृपया आप यहाँ जा कर पुरानी पोस्ट पढिये

    लोग अक्सर कमेन्ट के जरिये दूसरों के लिखे की तारीफ ही करते है मैंने ये कमेन्ट क्यों किया जानने के लिए आप मेरी ये पोस्ट पढ़ सकते है

    आपने अपनी इ मेल आई दी नहीं ओपन की है इस लिए मुझे मजबूरन ये कमेन्ट करना पड़ा यदि आपको कोई आपत्ति हो तो इस कमेट को डिलीट कर दीजिये

    वीनस केसरी

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  2. Kesri saab aap ne apna keemti waqt nikaal ke meri iss likhat ke bare main jo bhi kaha, aapki zaranawaazi hai. Main koshish karoonga ke main samajh sakoon main kya galti ki hai. Baki main shukrguzaar hoon aapka. Aate rahiyaega.

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