Thursday, August 13, 2009

जुगनी चली जालंधर

ओ जुगनी चली जालंदर, (जुगनी) नी जुगनी चली।

जुगनी कुड़ी बड़ी मतवाली,जैसे भरी प्रेम दी प्याली।
जुगनी ढोल दी है ढुग-ढुग,चलदे ट्रक्टर दी है टुक-टुक।
रब्बा मेरेया ओ जुगनी, ओ रब्बा मेरेया जुगनी।
ओ वीर मेरेया वे जुगनी बह गई है,दिल सब दा खींच के ले गई है।

ओ जुगनी चली जालंधर, (जुगनी) जुगनी चली जालंधर।

जुगनी आ पहुँची जालंधर, खाते-पीते घर दे अन्दर,
जहाँ एक से एक सिकंदर, जुगनी अपनी मस्त क़लन्दर
रब्बा मेरेया जुगनी, (जुगनी) ओ रब्बा मेरेया ओ जुगनी,
वेखी वेखी सी लगदी, जुगनी सब दे दिल नू फब्दी है।

ओ जुगनी चली जालंदर, (जुगनी) नी जुगनी चली जालंधर

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