लो कर दी बस...
लो कर दी बस, खाता हूँ कसम अब मह न पियूँगा।
महकदे चल के आयें दर मेरे, मैं आह न भरूंगा।
गुज़ारिश इतनी बस, जाम आखिरी खत्म करने दे।
न जाने दिल-ऐ-तीरगी में अब चराग़ कब जले।
लो कर दी बस...
रहता मैं नशे में जब, लगते थे सभी अपने।
दिल रहती थी रौनक, थे खुशनुमा सपने।
ज़माना तल्ख़, मेरी हस्ती अब तोड़-मरोड़ दे।
नशे मैं रहता था ऊपर, अब नीले अम्बर तले।
लो कर दी बस...
कबूली जबसे तेरी बात, रूह का चैन खो दिया।
हाल देख मेरा, सूख चुका आंसू भी रो दिया।
बोला यार ने है आज अर्शी मह छोड़ दे।
हयात-ओ-मौत हो जो भी, लग जाओ अब गले।
लो कर दी बस...
Sunday, June 28, 2009
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