लोग आवाज़ें देते रहे जो पर मेरे कानों तक न पहुँची।
मैं चलता रहा लोग बदलते रहे, शोर बढता रहा,
मैं सुनने को तरसता रहा।
अब लोग भी नज़र आने बंद हो गए हैं।
कौन देगा मुझे आवाज़; सफ़र जारी है।
मैं चलता रहा लोग बदलते रहे, शोर बढता रहा,
मैं सुनने को तरसता रहा।
अब लोग भी नज़र आने बंद हो गए हैं।
कौन देगा मुझे आवाज़; सफ़र जारी है।
No comments:
Post a Comment