मेरे ग़म में कोई थोड़ी सी खुशी भर दे,
कोई राहों में मेरे भी रौशनी कर दे।
दूर तक सुनाई पड़ती है बस चुप्पी ही,
मेरी भी आवाज़ कोई तो सुनी कर दे।
इस सन्नाटे में कोई मुझे भी पुकार ले,
चुभती धूप को कोई मद्धम चांदनी कर दे।
हर तरफ़ नज़र आते हैं बस वीराने ही,
ठहरे पल मेरे कोई अब रवानी कर दे।
बस एक बार कोई हाथ दे संभाल ले,
मेरी भी खुशी कोई एक बार सौगुनी कर दे।
मेरे ग़म में कोई थोड़ी सी खुशी भर दे,
कोई राहों में मेरे भी रौशनी कर दे।
Thursday, August 13, 2009
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